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दारुहरिद्रा ( दारु हल्दी ) के 11 फायदे और उपयोग का तरीका :

आयुर्वेद में ऐसे अनेक पौधे हैं, जो जड़ी-बूटियों के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। दारूहरिद्रा भी उन्हीं में से एक है। यह एक औषधीय पादप है। दारूहरिद्रा को दारु हल्दी भी कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में इण्डियन बर्बेरी कहा जाता है। दारुहरिद्रा नेपाल, श्रीलंका जैसे हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका प्रयोग मधुमेह रोग के निदान में विशेषकर किया जाता है। 
        
दारुहरिद्रा के विभिन्न नाम :
दारुहरिद्रा को हिंदी में दारुहलदी, अंग्रेजी में  इण्डियन बर्बेरी  और दार्वी, दारुहरिद्रा कहा जाता है। प्रत्येक प्रांत की अपनी भाषा होती है, जिस वजह से उसे अलग नाम से जाना जाता है। दारुहरिद्रा का औषधीय रूप में प्रयोग हर प्रांत में किया जाता है। इसके उपयोग से कई रोगों का निदान होता है। 
              दारुहरिद्रा का उपयोग विभिन्न बीमारियों को दूर करने में कैसे किया जाता है आइए जानते है :

दारुहरिद्रा के फायदे और उपयोग :

1. घाव सुखाने में लाभकारी :
आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि दारुहरिद्रा एक तरह की एंटीसेप्टिक होती है, इसलिए यह घाव सुखान में बहुत लाभकारी है। अगर आपको चोट लग गई है और उसका घाव सुख नहीं रहा है तो आप दारुहिद्रा को पीसकर उसे सरसों के तेल के साथ मिलाकर गर्म करके  घाव वाली जगह पर लगाएं, इससे जल्द ही घाव सुख जाएगा। 

2. मधुमेह में प्रभावी :
आयुर्वेद में दारुहरिद्रा का उपयोग मधुमेह की बीमारी को दूर करने में किया गया है। इसे विशेष रूप से मधुमेह का घरेलू इलाज माना जाता है। अगर आप भी मधुमेह के रोगी हैं तो दारु हल्दी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। बीमारी को खत्म करने के लिए 10-20 ग्राम दारु हल्दी का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें। अगर यह ज्यादा कड़वी लगे तो थोड़ा शहद भी चाट लें। 

3. त्वचा रोगों में फायदमेंद :
त्वचा पर घाव, अल्सर, एक्ने आदि की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दारुहरिद्रा का उपयोग किया जाता है। कई आयुर्वेदिक दवाओं में दारुहरिद्रा का उपयोग किया जाता है। इसकी एक निश्चित मात्रा उन दवाओं में दी जाती है। अगर आपको किसी तरह स्किन रोग है तो नारियल के तेल में दारूहरिद्रा का चूर्ण मिलाकर परेशानी वाली जगह पर लगाएं। 

4. गठिया और जोड़ों के दर्द में लाभकारी :
जोड़ों का दर्द आजकल बढ़ती उम्र का एक बढ़ता रोग बन गया है। इस परेशानी से छुटकारा दिलाने में दारुहरिद्रा बहुत लाभकारी है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि गठिया रोग होने या जोड़ों के दर्द की समस्या होने पर दारुहरिद्रा को दूध के साथ उबालकर पीने से फायदा मिलता है। इसका सेवन आप सुबह-शाम खाना खाने के बाद कर सकते हैं। गठिया को ठीक करने के लिए यह एक प्रभावी जड़ी-बूटी है।

5. लिवर की परेशानियों को करे दूर :
लिवर से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में दारुहरिद्रा बहुत लाभकारी है। खाना अगर ठीक से नहीं पचता है, तभी दारुहरिद्रा पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है। इसके सेवन से लिवर से जुड़ी परेशानियां दूर होने लगती हैं। लिवर की परेशानियों को दूर करने के लिए दारुहरिदा की छाल का काढ़ा बनाकर पीएं। इससे आपको जल्द ही लाभ मिलेगा।   

6.  पीलिया में फायदेमंद :
पीलिया रोग होने पर सबसे पहले आंखें पीली होने लगती हैं। शुरुआत में भूख न लगने की समस्या और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इश रोग से छुटकारा पाने के लिए दारुहरिद्र का सेवन निंबू के पत्ते के रस के साथ 1 चम्मच शहद के सात मिलाकर खाएं। इस रोग को खत्म करने में यह लाभकारी साबित हो सकता है। अगर आपको इस तरह से उपाय करने से लाभ नहीं मिल रहा है तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लें। 

7. सूजन को कम करने में लाभकारी :
आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि दारुहरिद्रा में सूजन को कम करन वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन गुणों की वजह से यह सूजन को कम करने में लाभकारी साबित होते हैं। अगर किन्ही को जोड़ों के दर्द की वजह से सूजन हो गई है या दर्द हो रहा है तो उसमें दारुहरिद्रा लाभकारी साबित होती है। 

8. बुखार ठीक करने में मददगार :
बदलते मौसम में बुखार आ सकता है। ऐसे में दवाओं लेने के बजाए आप आयुर्वेदिक उपाय कर सकते हैं। दारुहरिद्रा की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार की समस्या कम हो जाती है। शरीर का तापमान बढ़ने की वजह से बुखार हो जाता है। दारुहरिद्रा इस परेशानी को दूर करती है। 

9. बवासीर में करे फायदा :
बवासीर की समस्या होने पर उठने, बैठने, चलने-फिरने आदि में परेशानी होने लगती है। कई बार समस्या इतनी हो जाती है कि एनल फिशर तक की परेशानी होने लगती है।  इस परेशानी से बचने के लिए दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी है। खूनी बवासीर होने पर दारुहरिद्रा का चूर्ण बनाकर खाने से लाभ मिलता है। इसके अधिक अच्छे उपयोग के बारे में जानने के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करें। बवासीर के अलावा दारुहरिद्रा का उपयोग मूत्र रोगों को दूर करन में भी किया जाता है। 

10. आंखों के लिए लाभकारी :
आंखों का लाल होना, खुजली होना, कंजक्टिवाइटिस होना आदि समस्याओं में दारुहरिद्रा लाभकारी है। दारूहल्दी के चूर्ण को दही या मक्खन के साथ मिलाकर आंखों की पलकों  पर बाह्य क्षेत्र पर लगाएं। इससे आंखों के संक्रमण को दूर करने में लाभ मिलता है। इस तरह दारुहल्दी आंखों के रोगों के लिए लाभकारी है।  आंखों की समस्याएं इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी से दूर होती हैं। 

11. पेट के रोगों को करे दूर :
गैस, कब्ज, अपज आदि जैसी परेशानियों में दारुहरिद्रा लाभकारी है। इससके सेवन से भूख न लगने की समस्या भी दूर होती है। दारुहरिद्रा का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है। 

आयुर्वेद में दारुहरिद्रा एक उपयोगी औषधि है। इसे उपयोग वनस्पति की श्रेणी में रखा जाता है। इसके सेवन से पेट संबंधी परेशानियों से लेकर आंखं की समस्या भी दूर होती है। दारूहरिद्रा के सही मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है। यह पीलिया को ठी करने में कान की परेशानी में भी लाभकारी है। इसका उपयोग चूर्ण के रूप में रस के रूप में और काढ़े के रूप में किया जा सकता है। इसकी जड़, छाल, तना आदि लाभकारी होती है।