BAHEDA POWDER
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[ बहेड़ा चूर्ण ]
त्रिफला, आंवला, हरड़ और बहेड़ा से मिलकर बना है। आंवला और हरड़ के बारे में तो जानकारी है, लेकिन यह बहेड़ा क्या है, क्या इसे अलग से ले सकते हैं, और इसके क्या लाभ हैं ..?
बहेड़ा का फल, छाल व बीज सभी हिस्से कई बिमारियों को दूर करने के लिए उपयोग में लिए जाते है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं। एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर यह नुकसानदायक बैक्टीरिया और पेट की कीड़ों को मारने का काम करता है। इसके फल मोतियाबिंद की समस्या में अति लाभकारी माना जाता है। इसकी छाल खून की कमी, एनीमिया, व श्वेत कुष्ठ में फायदेमंद होता है तथा इसके बीज कड़वे व नशीले होते है जो अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने में मदद करते हैं।
आइए जानते हैं : बहेड़ा के औषधीय गुण व लाभ-
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डायरिया में फायदेमंद :
भारत में डायरियां के मरीजों पर हुए अध्ययन में बहेड़ा बहुत प्रभावी पाया गया। दरअसल रिसर्च में पाया गया कि बहेड़ा फल के अर्क में अमीबासाइडल और बैक्टेरिसाइडल यानी जीवाणुनाशक प्रभाव मौजूद होते हैं। ये प्रभाव दस्त का कारण बनने वाले ई. हिस्टोलिटिका, अमीबा और ई. कोली जैसे बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर दस्त की समस्या में राहत देने का कार्य कर सकते हैं। बहेड़ा फल का हाइड्रोक्लोरिक अर्क पेट दर्द, अपच, पेचिश, उल्टी, दस्त, कब्ज और सूजन जैसी पेट संबंधी सभी तरह की समस्याओं को दूर करने में असरदार है। मुख्यतः इसका उपयोग गैस्ट्रिक अल्सर के प्रबंधन के लिए किया जाता है।
शुगर लेवल को रखे कण्ट्रोल :
विशेषज्ञों द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि बहेड़ा डायबिटीज के रोगियों के लिए भी प्रभावी माना जाता है। बहेड़ा फल का अर्क इंसुलिन के स्तर में सुधार करता है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है।
ह्रदय को रखे स्वस्थ :
इसमें कार्डिओप्रोटेक्टिव गुण भी होता है, जिसकी वजह से यह ह्रदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जा सकता है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने व अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि कर सकता है। इसके अलावा, यह एंटी ह्यपरटेंसिव यानी उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने का गुण भी प्रदर्शित कर सकता है
फोड़े-फुंसी से दिलाये मुक्ति :
अगर आपका अल्सर या घाव जल्दी ठीक नहीं होता है तो इसके लिए बहेड़ा का इस्तेमाल प्राकृतिक उपचार के रूप में भी किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार, बहेड़ा पौधे के पत्ती का इथेनॉल अर्क स्टैफिलोकोकस ऑरियस से होने वाले स्किन इन्फेक्शन का आसानी से समाधान कर सकता है।
इम्युनिटी करे बूस्ट :
शोध से पता चला है कि बहेड़ा के पौधों में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव हो सकता है। इम्युनोमोडुलेटर वे यौगिक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के काम को नियंत्रित या विनियमित करने और सामान्य करने में मदद करते हैं। इसकी वजह से बहेड़ा पाउडर से इम्युनिटी बूस्ट होती है, शरीर एक्टिव होता है और जल्दी- जल्दी होने वाले संक्रमण से राहत मिलती है।
टाइफाइड में फायदेमंद :
साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से उत्पन्न होने वाली बीमारी टाइफाइड में बहेड़ा का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक टाइफाइड के लिए हर्बल उपचार के रूप में बहेड़ा का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध में पता चला है कि बहेड़ा में पाया जाने वाला एंटी-साल्मोनेला प्रभाव साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से होने वाले टाइफाइड से बचाव या इसकी रोकथाम में लाभदायक हो सकता है।
बहेड़ा के अन्य उपयोग व फायदे :
1. बहेड़ा को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गले के रोग दूर होते हैं।
2. बहेड़ा का छिलका और मिश्री युक्त पेय पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
3. हाथ-पैर की जलन में बहेड़े के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।
4. बहेड़ा के चूर्ण का लेप बनाकर बालों की जड़ों पर लगाने से असमय सफेद होना रुक जाता है।
5. बहेड़ा के आधे पके हुए फल को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
6. बहेड़ा के पत्ते और चीनी का काढ़ा बनाकर पीने से कफ से निजात मिलती है। छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से भी खांसी और बलगम से छुटकारा मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार, बहेड़ा चूर्ण वजन घटाने में मदद करता है क्योंकि यह चयापचय में सुधार करता है और पाचन अग्नि को बढ़ाकर आम को कम करता है।
बहेड़ा फल अपने जीवाणुरोधी गुणों के कारण मुंहासे और मुंहासे के निशान जैसी त्वचा की समस्याओं के लिए फायदेमंद है। बहेड़ा फल के पाउडर को गुलाब जल के साथ चेहरे पर लगाने से बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है। बहेड़ा पाउडर को गुलाब जल और बहेड़ा तेल ( शुद्ध नारियल तेल के साथ मिलाकर ) बालों और स्कैल्प पर मालिश करने से बालों की वृद्धि में बढ़ावा मिलता है और इसके कसैले और रूक्ष (सूखे) गुणों के कारण रूसी को नियंत्रित करता है।
नोट : बहेड़ा के साथ एक महत्वपूर्ण सावधानी यह है कि इसे हाइपरएसिडिटी या गैस्ट्राइटिस के दौरान नहीं खाना चाहिए। ऐसा इसकी गर्म तासीर के कारण होता है जो इन स्थितियों को बढ़ा सकता है।


