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कलौंजी का तेल जोड़ों का दर्द मिटाए : ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे : मुंहासे रोके : अस्थमा में भी कारगर :  आइए जानते हैं : इस्तेमाल का सही तरीका ...

        मसालों को सिर्फ स्वाद का तड़का लगाने के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ रहने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं मसालों में एक नाम कलौंजी का भी है। कलौंजी के तेल के इस्तेमाल और फायदे के बारे में शायद बहुत कम लोगों को जानकारी हो। आज ‘जान-जहान’ में आयुर्वेदाचार्य डॉ. सिद्धार्थ सिंह से कलौंजी के तेल के इस्तेमाल और फायदे के बारे में जानते हैं।

ब्लड प्रेशर काबू में रहे.
कलौंजी के तेल से सब्जी बनाने पर ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के एक शोध के मुताबिक, कलौंजी के बीज के अर्क में एंटी हाइपरटेंशन गुण होता है। यह हाई ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है। कलौंजी का तेल रोजाना 5 एमएल इस्तेमाल करने से हाइपरटेंशन कम होता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल करे.
कलौंजी का तेल बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है। इसमें मौजूद एंटी हाइपर कोलेस्टरोलेमिक गुण सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल कम करते हैं। कलौंजी के तेल का इस्तेमाल एंटी हाइपरलिपिडेमिक यानी ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने वाली दवा में भी किया जाता है।

गठिया की बीमारी दूर करें.
कलौंजी के तेल में एंटी इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण होते हैं। जो गठिया में बहुत फायदेमंद है। रूमेटाइड अर्थराइटिस, घुटनों का दर्द दूर करने के लिए खाने में कुछ बूंद कलौंजी का तेल मिलाएं। पीड़ित व्यक्ति अपनी नाभि में कलौंजी का तेल डाले तो जोड़ों में दर्द की शिकायत दूर होती है।

अस्थमा के रोगी को दे आराम.
कलौंजी का तेल न सिर्फ अस्थमा का इलाज कर सकता है बल्कि यह पल्मोनरी फंक्शन यानी फेफड़े से जुड़ी समस्या में सुधार करके सांस की बीमारी को दूर करता है। कलौंजी के तेल का इस्तेमाल एलर्जी के इलाज में कर सकते हैं। इसमें एलर्जिक राइनाइटिस यानी बार-बार छींक आने की समस्या, एटोपिक एक्जिमा जैसे एलर्जी शामिल है।

पेट दर्द में राहत पहुंचाए.
पेट से जुड़ी समस्याओं का इलाज करने में भी कलौंजी के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, इसके तेल में गैस्ट्रो प्रोटेक्टिव प्रभाव होता है जो पेट के एसिड यानी म्यूकिन और ग्लूटाथियोन बढ़ाने और पेट से जुड़े घावों का कारण बनने वाले गैस्ट्रिक म्यूकोसल हिस्टामाइन को घटाने में मदद करता है। जिस वजह यह पेट से जुड़ी समस्याओं, जैसे-गैस्ट्रिक अल्सर से बचाव में असरदार है। हालांकि, अगर किसी की पेट में गंभीर समस्या है तो बेहतर है डॉक्टर की सलाह से कलौंजी के तेल को डाइट में शामिल करें।